सिडनी। सरकार से लोगों को बड़ी अपेक्षाएं होने और उन्हें पूरा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि जन-धन योजना के जरिए उनकी सरकार गरीब लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़कर अर्थव्यवस्था के विकास में हिस्सेदार बनाने का काम कर रही है।

सिडनी के ऑलफोंस एरीना में भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, आप कल्पना कर सकते हैं कि बैंकिंग प्रणाली से अलग रहकर कोई अर्थव्यवस्था के विकास से कैसे जुड़ सकता है। मैंने सपना देखा है कि गरीब का खाता बैंकों में खुले और गरीब व्यक्ति आर्थिक विकास का हिस्सा बने। इसी दिशा में जन-धन योजना शुरू की गई, जिसके तहत ‘जीरो बैलेंस’ पर गरीबों का बैंकों में खाता खुल सके।
जन-धन योजना की सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 67 साल से देश में एक साल में औसतन एक करोड़ बैंक खाते खुलते थे, लेकिन इस योजना के शुरू होने के 10 हफ्ते में सात करोड़ से अधिक खाते खुल चुके हैं।
चुनाव के बाद देश में बदलाव के माहौल का दावा करते हुए उन्होंने कहा, सरकार वही, मुलाजिम वही, दफ्तार वही, फाइल वही, आदत वही, लोग भी वही.. लेकिन काम हुआ कि नहीं हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा, कई लोगों के बड़े-बड़े काम करने के सपने होते हैं। वो सपने उन्हें मुबारक। मुझे तो छोटे-छोटे काम करने हैं। छोटे लोगों के लिए करने हैं और छोटों को बड़ा बनाने के लिए करने हैं।
जन-धन योजना की शुरुआत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में उन्होंने जब आरबीआई से पूछा कि क्या ऐसा कर सकते हैं? आरबीआई ने कहा कि हो तो सकता है। प्रधानमंत्री को कोई मना थोड़े ही करता है।
मोदी ने कहा कि आरबीआई ने कहा कि इसे पूरा करने में तीन साल लगेंगे। इसके बाद उन्होंने वित्त मंत्रालय से पूछा तो मंत्रालय ने कहा कि दो साल में हो जाएगा। फिर प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने (पीएमओ ने) कहा कि एक साल में हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, इस बीच मैंने 15 अगस्त को लालकिले से बोल दिया कि मैं यह काम 150 दिन में करूंगा। इस योजना के तहत जीरो बैलेंस पर खाता खोलने की व्यवस्था है। आपको आश्चर्य होगा कि इसके बावजूद गरीबों ने इसके तहत अब तक 5000 करोड़ रुपए जमा किए। किसी ने सौ रुपया, किसी ने दो सौ रुपया.. जमा किया।
मोदी ने कहा कि इसके जरिए गरीबों को लगा कि वे भी मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इस कार्य में बैंक के कर्मचारी लगे हैं। 26 जनवरी को अंतिम तिथि है। श्रम के सम्मान का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि श्रम के सम्मान के विषय को हमें ऑस्ट्रेलिया से सीखना चाहिए जहां एक ड्राइवर को भी उतना ही सम्मान मिलता है, जितना एक डॉक्टर को मिलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में निवेश के अनुकूल माहौल बनाने के लिए जीवन की गुणवत्ता (क्वालिटी ऑफ लाइफ) को दुरुस्त करने की जरूरत है, क्योंकि कोई भी जो हमारे यहां निवेश करेगा, उन्हें गुणवत्तापूर्ण जीवन एवं इससे जुड़ी सुविधा प्रदान करना हमारा कर्तव्य है। हम सिर्फ नीति बनाकर इतिश्री नहीं कर सकते हैं। (भाषा)
अर्थव्यवस्था के विकास में हिस्सेदार बनाएंगे गरीबों को : मोदी
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