कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ने कुल वेतन का 50 फीसदी या उससे कम पीएफ काटने वाली कंपनियों की जांच के आदेश दिए हैं. ईपीएफओ के मुताबिक नियोक्ता वेतन को विभिन्न भत्तों में बांट रहे हैं. इससे पीएफ में अंशदान कम हो रहा है.
ईपीएफओ ने ऐसी कंपनियों की जांच के लिए 120 से ज्यादा फील्ड कार्यालयों को काम पर लगाया है. आदेश के मुताबिक कंपनियों की जांच का काम इस साल 31 अगस्त तक हो जाना चाहिए.
कई कंपनियां पीएफ में अपनी देनदारी कम करने के लिए कर्मचारी के वेतन को विभिन्न भत्तों में बांट देती हैं. इस समय कर्मचारियों के मूल वेतन पर 12 प्रतिशत की दर से पीएफ काटा जाता है. इतनी ही राशि एम्प्लॉयर को भी कर्मचारी के खाते में डालनी होती है.
ईपीएफओ ने अपने विभिन्न कार्यालयों से इस मामले में 7 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है. ईपीएफओ ने इस सिलसिले में इससे पहले नवंबर 2012 में वेतन आपस में जोड़ने के लिए अधिसूचना जारी की थी लेकिन बाद में इसे स्थगित कर दिया गया. हालांकि, बाद में मूल वेतन के साथ विभिन्न भत्तों को जोड़ते हुए पीएफ काटने की संभावनाओं पर विचार विमर्श के लिए एक समिति गठित की गई.
समिति ने कर्मचारियों के रिटायरमेंट से जुड़े लाभ की व्यवस्था मजबूत बनाने के इस विचार का समर्थन किया है.
कम पीएफ काटने वाली कंपनियों की जांच होगी और भी...
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