अमेरिकी इतिहासकार प्रो. डेविड लैलीवेल्ड ने कहा कि मेरे ख्याल से बराक ओबामा को हिंदुस्तान नहीं आना चाहिए। उनके यहां आने से नरेंद्र मोदी के रिकार्ड में जो कमियां थी, उस पर मुहर लग गयी। प्रो. डेविड मंगलवार को एएमयू के म्यूजियोलोजी विभाग में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
व्याख्यान के सिलसिले में एएमयू पहुंचे अमेरिका की विलियम पैटर्सन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डेविड लैलीवेल्ड ने कहा कि ओबामा के आने से अमेरिका एवं हिंदुस्तान के कारपोरेट घराने को फायदा हो सकता है। आम आदमी को फायदा होगा, इसको लेकर संदेह है। उन्होंने कहा कि मैं पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश का प्रशंसक नहीं हूं।
मगर उन्होंने नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इंकार नीति के आधार पर किया था। ओबामा ने बुश की उस सोच पर पानी फेर दिया। सर सैयद अहमद खान पर विशेष कार्य कर चुके प्रो. डेविड एएमयू पर अलीगढ़ फर्स्ट जनरेशन तथा सर सैयद प्रिंटिंग प्रेस : प्रिंट, लिटरेसी एंड इस्लाम इन नाइनटीन सेंचुरी इंडिया जैसी चर्चित पुस्तकें भी लिख चुके हैं।
बोले, सही थी बुश की मोदी को न बुलाने की नीति
उन्होंने कहा कि वे 1963 में भारत और 1967 में एएमयू आए। दिल्ली में एसके भटनागर से मुलाकात होने एवं उनकी किताब पढ़ने के बाद एएमयू आने की प्रेरणा मिली और औपनिवेशिक काल में अल्पसंख्यकों की आधुनिक शिक्षा पर काम करने की इच्छा हुई।
प्रो. डेविड का कहना है कि मेरे विचार से सैयद द्वि राष्ट्र सिद्धांत (टू नेशन थ्योरी) के समर्थक नहीं थे। वह दिल से बहु संस्कृति वाद में विश्वास करते थे। हिंदू दोस्त राजा जय किशनदास की गोद में बैठाकर अपने बेटे का बिस्मिल्लाह समारोह कराया।
वह दिल से चाहते थे कि सब लोग मिल-जुल कर रहें। हां सर सैयद के जेहन में भविष्य के सवाल को लेकर जरूर कुछ चिंता थी कि मुसलमानों का क्या होगा? उन्होंने कहा कि सर सैयद के पुत्र रास मसूद के विचार राष्ट्रवादी थे। उनकी पूरी सोच में हिंदू-मुसलमान नहीं था।
किसने कहा? ओबामा को नहीं आना चाहिए हिंदुस्तान,
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